Friday, December 30, 2016

My first hindi blog post

हम जीवन में एक रेस छोड़ कर दूसरी रेस में लग जाते हैं. कोई अच्छा  बनाने की रेस में कोई अच्छा  दिखने की रेस में कोई पैसा कमाने की रेस में तो कोई दुसरो को सुधारने की रेस में. इस बीच में जीवन चला जाता हैं. जीवन रेस नहीं ढेहराव हैं. स्थिरता ही जीवन का नियम हैं. हम दुसरो को समजने में अपना समय डालते हैं जबकि समजना अपने आपको हैं. जीवन मिला हैं हर पल जीने के लिए, हम उसको सुख और दुःख में बाँट देते हैं.
एक बार मुम्बई में बहुत बारिश हो रही थी मैने देखा लोग इधर उधर भाग रहे हैं, खुदको बचा रहे हैं. इतने में मैने एक बच्चे  को झूमते देखा. मैने उससे पूछा क्या तुम्हे बारिश से बचना नहीं हैं? उसने कहाँ ये तो कुदरत का करिश्मा हैं इसको नहीं जिया तो फिर क्या जिया? भगवान् तो हमे कितने मौके देता हैं जीवन जीने के पर हम या तो बचने में या कंप्लेंट करने में लगे रहते हैं. जीवन में दोष नहीं क्षमा भाव होना चाइये. 
हमे स्कूल से ही रैंकिंग से इंट्रोड्यूस कर दिया कोई फर्स्ट तो कोई सेकंड तो कोई लास्ट तो कोई फ़ैल. अक्सर जो फ़ैल हो गए वो जीवन में फर्स्ट आते हैं. सभी लोग एक ही पढाई करते हैं पर किसको कुछ तो किसको कुछ और समाज आत्ता हैं। ज्सिने इंजीनियरिंग कर ली बादमे पता चलता हैं वो तो शायर था, इंजीनियर तो कम्पटीशन ने बना दिया. 

एक शायरी -

ज़िन्दगी में ढेहरों तुम कुछ इस तरह. 
जीवन की पुकार  सुनाई दे उस तरह. 

तूम बनो जो तुम हो 
ये समजो तुम सब नहीं हो. 

दाग चाँद में भी होता हैं. 
फिर भी वो चाँद ही रेहता हैं. 

दुःख और सुख दोनों जीवन के ही भाग हैं 
जीवन इसे जीने का ही नाम हैं. 

अपने आप पे न गुरुर कर न गुमार कर. 
जिसने जीवन दिया उसका शुक्रगुज़ार कर. 

जीवन बहुत छोटा हैं,
इसे हर पल तुजे जीना हैं.

हर पल को जिले इस तरह.
जीवन का आखरी लम्हा हो उस तरह  


Thursday, December 29, 2016

The social image

Everyone likes to play with a playful dog. Nobody likes to play with a angry barking dog.
Universe gives us so many examples to learn, you just need to observe.

We are given birth on the planet earth to liberate ourselves however we spend a life time entangled in series of our outer world.

What do you love in a person?
A blood relation, body, nature. All of it changes as time goes by, isn't it?
Thus love becomes a fallacy. Body is going to die, will the love die?
So what should you love? You say spirit but you can't see the spirit.

You can only connect. Only connection lasts it does not need blood relation, body or nature. When you feel one, the distinction goes away.
Confused, not yet, let me try more.

We are here spending a life time of making a social image of a good father, mother, brother or sister. In all of this, you loose your real self.
You should rather be yourself and let time be the filter of one's who want to be with you.

We are busy satisfying our senses and living sensation where as we were born for liberation.

We are busy earning money, fame, power where as life is in silence, gratitude and peace. Choice is yours.

Life is neutral, we create polarities.

"Live in the hearts of people, let mind have the thoughts and not you"